मंगलवार, मार्च 30, 2010

देरी के लिए क्षमा

इंसान की जिंदगी व्यस्तताओं का एक संकलन है। पिछले कई महीने ऐसी व्यस्तता रही कि ब्लॉग लिखने का समय ही नहीं निकाल पाया। मुझे मालूम है कि ब्लॉगिंग के मेरे मित्रों को मेरे इस रवैये से निराशा हुई होगी, लेकिन उनसे कर बद्ध विनती है कि मजबूरियों को भी समझें।

पिछले दिनों वैसे तो काफी कुछ लिखा, लेकिन कोई भी लेख ऐसा नहीं लगा कि आपको कोई ताजा चीज पेश कर रहा हूं। हालांकि इस पर कई मित्रों ने ऐतराज़ भी जाहिर किया। कहने लगे, "कुछ भी लिख दिया करो, ताजा या बासी पढ़ने वाले तय कर लेंगे।" मैने भी सोचा कि जब ब्लॉग ही है तो संकोच कैसा?

अब फिर लिखने लगा हूं... देखता हूं कब तक रह पाता हूं?

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